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चीटियों की मेहनत और शेर की व्यवस्था: जंगल में फैक्ट्री की कहानी

इस कहानी में पढ़िए कैसे मेहनती चींटियाँ शेर की फैक्ट्री चला रही थीं, लेकिन प्रबंधन बढ़ते ही सब बर्बाद हो गया! क्या शेर अपनी गलती समझ पाया?

चीटियों की मेहनत और शेर की व्यवस्था: जंगल में फैक्ट्री की कहानी

 चीटियों की मेहनत और शेर की व्यवस्था: जंगल में फैक्ट्री की कहानी  - Hindi Story

जंगल में शेर ने एक फैक्ट्री डाली... उसमें एकमात्र काम करने वाली चींटियाँ थी जो समय से आती जाती थीं और फैक्ट्री का सारा काम करती थी।

शेर का व्यसाय बहुत ही व्यवस्थित ढंग से चल रहा था।

एक दिन शेर ने सोचा कि ये चींटियां इतना सुंदर काम कर रही है, अगर इसको किसी विशेषज्ञ के निगरानी में रख दूँ तो और बेहतर काम कर सकती है।

ये ख्याल मन में आते ही शेर ने एक मधुमक्खी को मैनेजर नियुक्त कर दिया।

मधुमक्खी को कार्य का बहुत अनुभव था और वह रिपोर्ट्स लिखने में भी बहुत होशियार थी।

मधुमक्खी ने शेर से कहा कि सबसे पहले हमें चींटियों का काम करने का समय सारणी बनाना होगा। फिर उसके काम का सारा रिकार्ड अच्छी तरह रखने के लिए मुझे एक अलग से सेक्रेटरी चाहिए होगा।

शेर ने खरगोश को सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त कर दिया।

शेर को मधुमक्खी का कार्य पसंद आया। उसने कहा कि चींटियों के अब तक पूरे हुए सारे कार्यों की रिपोर्ट दो और जो प्रगति हुई है उसको एक सुंदर ग्राफ बनाकर निर्देशित करो।

मधुमक्खी ने कहा ठीक है, मगर मुझे इसके लिए कंप्यूटर, लेज़र प्रिंटर और प्रोजेक्टर चाहिए होगा। इस सबके लिए शेर ने एक कंप्यूटर डिपार्टमेंट बना दिया और बिल्ली को वहां का सर्वेसर्वा नियुक्त कर दिया।

अब चींटी अपना काम करने के बजाय सिर्फ कागज़ी रिपोर्ट बनाने में ध्यान देने लगी, जिससे उसका काम पिछड़ता गया और अंततः प्रोडक्शन कम हो गया।

शेर ने सोचा कि कंपनी में एक तकनीकी विशेषज्ञ रखा जाय जो मधुमक्खी की सलाहों पर अपनी राय दे सके। ऐसा सोंचकर उसने बंदर को तकनीकी विशेषज्ञ नियुक्त कर दिया।

अब चींटी को जो भी काम दिया जाता वह उसको पूरी सामर्थ्य से करने की कोशिश करती लेकिन अगर काम कभी पूरा नहीं होता तो वह विवश होकर उसको अपूर्ण छोड़कर घर चली जाती।

शेर को लगातार नुकसान होने लगा तो वह बहुत बेचैन हो उठा। कोई उपाय न देख मजबूरी में उसने उल्लू को नुकसान का कारण पता लगाने के लिए नियुक्त कर दिया।

तीन महीने बाद उल्लू ने शेर को अपनी विस्तृत व बेहद गोपनीय रिपोर्ट सौंप दी; जिसमें उसने बताया कि फैक्ट्री में काम करने वालों की संख्या ज्यादा है औऱ कंपनी के घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियों को सस्पेंड, नोटिस, बर्खास्त करना होगा।

शेर ने उल्लू की रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा और तुरंत कार्रवाई करने का फैसला किया। उसने अपनी फैक्ट्री की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करनी शुरू कर दी। सबसे पहले उसने चींटियों को निकाला, क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण वही थीं।

अब फैक्ट्री में केवल मधुमक्खी, खरगोश, बिल्ली, बंदर और उल्लू बचे थे। लेकिन अब एक समस्या खड़ी हो गई—कोई काम करने वाला नहीं था! रिपोर्ट तैयार करने वाले, सलाह देने वाले और व्यवस्थापक तो थे, मगर उत्पादन करने वाला कोई नहीं बचा। फैक्ट्री का काम पूरी तरह ठप हो गया।

कुछ ही महीनों में शेर की फैक्ट्री दिवालिया हो गई। मधुमक्खी, खरगोश, बिल्ली, बंदर और उल्लू सभी अपनी-अपनी नौकरी छोड़कर दूसरी जगह चले गए। शेर को तब एहसास हुआ कि उसकी सबसे बड़ी गलती क्या थी—उसने उन मेहनती चींटियों को हटा दिया जो असल में फैक्ट्री चला रही थीं।

शिक्षा: जो लोग मेहनत से किसी संस्थान को चलाते हैं, उन्हें अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। बिना सोचे-समझे बदलाव करना कभी-कभी भारी नुकसान पहुंचा सकता है। कोई भी संस्था या कंपनी मेहनती कर्मचारियों के बिना सफल नहीं हो सकती।